उज्जैन में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही का दर्दनाक मामला, जहां एक गरीब पिता को अपने नवजात बेटे की जान बचाने के लिए मजबूरन निजी एम्बुलेंस का सहारा लेना पड़ा — वह भी बिना ऑक्सीजन सुविधा के। हैरानी की बात यह है कि यह घटना उज्जैन के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, चरक अस्पताल, में घटी, जहां से बच्चे को इमरजेंसी में रेफर किया गया था।
मामला नागदा निवासी नौशाद का है। तीन दिन पहले उसकी पत्नी हसीना ने बेटे को जन्म दिया, लेकिन जन्म के तुरंत बाद से ही बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी। डॉक्टरों ने हालत गंभीर देख उसी दिन उज्जैन के चरक अस्पताल रेफर कर दिया। यहां दो दिन इलाज के बाद गुरुवार को बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई। डॉक्टरों ने उसे इंदौर के एमवाय अस्पताल भेजने की सलाह दी।
नौशाद ने इंदौर के बजाय उज्जैन के ही एक निजी अस्पताल में बच्चे को भर्ती कराने का फैसला किया। लेकिन आरोप है कि चरक अस्पताल प्रबंधन ने निजी अस्पताल ले जाने के लिए ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस देने से इनकार कर दिया। मजबूरन नौशाद ने 800 रुपये में एक निजी एम्बुलेंस किराए पर ली, जिसमें ऑक्सीजन की कोई सुविधा नहीं थी। इस दौरान वह और उसका सहयोगी हाथ में ऑक्सीजन सिलेंडर उठाकर इधर-उधर भटकते भी देखे गए।
नौशाद का कहना है कि अगर समय पर ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस मिल जाती, तो सफर के दौरान बेटे की स्थिति इतनी नाजुक न होती। वहीं, इस मामले में सीएमएचओ अशोक पटेल ने सफाई दी कि सरकारी एम्बुलेंस केवल सरकारी अस्पताल से सरकारी अस्पताल में मरीज ले जाने के लिए ही उपलब्ध कराई जाती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि शिकायत मिलने पर मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।